नाक की महिमा


पुराने जमाने से लेकर नए दौर तक नाक की वही पोजिशन है। उसमें जरा भी बदलाव नहीं आया है। शरीर के अंगों में यदि कोई अहंकारी है तो वह नाक ही है। अपने अहंकार के कारण नाक ने अपनी नाक कटवाई भी है और ऊंची भी की है। अपनी नाक ऊंची रखने के चक्कर में कई बार नाक को नाक रगड़नी भी पड़ती है। यदि नाक वाला कोई है तो बिना नाकवाले भी इफरात में मौजूद हैं। कहा भी तो जाता है कि नकटों के मुंह कौन लगे? कोई एक नाक वाला होता है तो कोई-कोई दो नाक वाले भी होते हैं, लेकिन ऐसे लोग भरोसे के लायक नहीं होते। नाक की सीध में चलने वाला किसी से भी टकरा जाता है, लेकिन गांव वालों से अगर रास्ता पूछें तो वे यही बताते हैं कि भय्या, नाक की सीध में चले जाओ!


नाक ने दुनिया में कई युद्ध और महायुद्ध करा दिए हैं। यदि शूर्पणखा की नाक न कटती तो क्या राम-रावण युद्ध होता? नाक की वजह से ही नोंकझोक होती रहती है। सबसे ज्यादा चर्चा भी नाक की ही होती है। साहित्य में भी नाक की चर्चा होती है।रूसी लेखक निकोलाई गोगोल ने नाक पर तो हमारे कमलेश्वर ने जॉर्ज पंचम की नाक पर कहानियां लिख डाली हैं। कोई व्यक्ति अपनी नाक पर मक्खी तक नहीं बैठने देता है तो कई लोग नाक में दम कर देते हैं। नाक से यद्यपि चने नहीं चबाना पड़ते, परंतु वक्त आने पर नाकों चने भी चबवा दिए जाते हैं।नाक रखने के लिए सब कुछ करना पड़ता है। लोग नाक कटाकर भी घी चाटा करते हैं।

नाक से ही आदमी की पहचान होती है। नाक से उसका स्टेटस मालूम होता है, जितनी लंबी और ऊंची नाक, उतना ही रुतबा भी। शरीर का महत्वपूर्ण अंग होने के कारण नाक अक्सर नकचढ़ी भी हो जाती है। कभी किसी अप्रिय वस्तु या व्यक्ति को देखकर नाक-भौं सिकोड़ी भी जाती है। नाक बिंदाई, नथनी, कांटा, लोंग, ये महिलाओं की नाक के प्रिय आभूषण हैं। कई बार इस बात पर विवाद उठ खड़ा होता है कि मेरी नाक से उसकी नाक ऊंची क्यों?

नाक की शान में लोग कसीदे पढ़ते हैं। कई लोग नाक के बाल होते हैं और जीवन भर वही बने रहते हैं। नाक छोटी होती है, मोटी भी होती है, पतली भी, चपटी भी। नुकीली, तोतेनुमा और गरुड़ टाइप की नाकों की तो बात ही क्या? इस नश्वर संसार में नाकों की महिमा का पूर्ण बखान किया ही नहीं जा सकता, फिर भी लोगों ने "नाक-पुराण" पर अपनी कलम चलाकर वाहवाही लूटी है।

छोटी या चपटी नाक वाले प्लास्टिक सर्जरी कराकर अपनी नाक बचाने की कोशिश करते हैं। अब तो सुनने में आया है कि इलेक्ट्रॉनिक नाक भी बाजार में आ गई है, जिसकी खूबी यह है कि यह साधारण नाक की तुलना में कई गुना अधिक सूंघने की क्षमता रखती है। वह फलों की गंध और सड़न को तुरंत ताड़ लेती है। नाक से और भी बहुत से काम लिए जाते हैं, जैसे बहुत-से लोग नाक से पानी पीते हैं, नाक से बोलते हैं और नाक से ही गाते हैं। नाक छींकने के काम आती है। सर्दी के दिनों में नाक की टोटी खुली रह जाती है, जिसे रूमाल से बार-बार पोंछना पड़ता है। नाक खतरनाक भी होती है। लोग नाक पकड़कर अपना काम करा लेते हैं। कहने वाले यूं ही नहीं कह गए हैं कि नाक है तो सबकुछ है और अगर नाक नहीं, तो कुछ भी नहीं!

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