परिवार में दरार

कहते हैं कि यात्रा शिक्षा का सबसे बड़ा माध्यम होती है। यात्रा के दौरान मिलने-जुलने के क्रम में आप काफी कुछ देखते हैं, सीखते हैं और समझते हैं। यह सौ फीसदी सच है। इस गर्मी की छुट्टी में घर जाते समय टुकड़ों-टुकड़ों में कई शहरों की मैंने यात्रा की। ट्रेन से, बस से और टैक्सी से भी। अनजान भी मिले और कुछ जान-पहचान वाले भी। पुराने मित्र भी मिले और कुछ नए भी। कुछ नए रिश्ते बने तो कुछ रिश्तों पर जमीं गर्द को हटाकर उन्हें तरोताजा करने की कोशिश भी हुई, लेकिन इन सबके बीच जिन कुछ कटु सच्चाइयों ने दिल को थोड़ा हैरान-परेशान और लाचार कर दिया, जब अपनी आंखों कई परिवारों को टूटते हुए देखा। पता चला एक पुराने सहपाठी ने अपने बूढ़े मां-बाप को अपने से अलग कर दिया है। उसके मां-बाप जब किसी परिचित से मिलते हैं तो उनका रुदन रुकता नहीं है। एक मित्र के पास गया तो तीन मंजिला इमारत वाली घर में पारिवारिक गठबंधन में इतनी दरारें दिखीं, तो वहां से निकल गया। एक परिचित अपने भाई की बात आने पर कुछ यूं बोले-तीन साल से घर नहीं आया। मां-बाप की फिक्र भी नहीं है उसे। जब से शादी हुई है, अपनी नई जिंदगी में ऐसे रमा है कि मां-बाप भूली-बिसरी कहानी हो गए हैं। ट्रेन में एक अधेड़ महिला से सामना हुआ। पता चला भाई ने आम खाने के लिए बुलाया है। बातचीत का क्रम चला तो परिवार की बात छिड़ी, लेकिन बहुओं पर बात आकर रुक गई। उन्होंने बहुत कोशिश की यह बताने की कि उन्हें आजकल की बहुओं से ऐतराज है, लेकिन उनके चेहरे की शिकन बता रही थी कि सब कुछ ठीक नहीं है। दिल्ली में भी कई बार ऐसे किस्से सुनने को मिलते हैं। एक दिन टीवी पर एक बूढ़ी मां को रोते हुए देखा। पता चला बेटे ने संपत्ति के विवाद के कारण मां को घर में घुसने नहीं दिया। मां घर के बाहर बैठकर रोए जा रही है। दरअसल यहां बात यह नहीं है कि इस तरह के मां-बाप गलत हैं या फिर आजकल के बेटे-बहू। अलग-अलग परिस्थितियों के सच अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन एक बात तो तय है कि आधुनिकीकरण की दौड़ में पारिवारिक रिश्ते गौड़ होने लगे हैं। हर कोई अपनी अलग दुनिया बनाना चाहता है। आखिर इसमें कुछ गलत भी नहीं है, लेकिन रिश्तों की गर्माहट बनी रहे इसका ख्याल तो उन्हें किसी भी हाल में रखना ही चाहिए। अपना घर, अपनी दुनिया और अपने बीवी-बच्चों के आसपास बने रहने की होड़ ऐसी है कि अपने मां-बाप दूर बैठे सिसकते रहते हैं। आखिर यह कैसी आधुनिकता है और इससे क्या फायदा?

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