पिछले कुछ सालों में देश में इज्जत के नाम पर कई प्रेमियों की हत्या हुई है। आजकल इस तरह के वारदातें कुछ ज्यादा ही हो रही हैं। कई मामलों में यह भी देखा गया है कि जब हत्याएं हुई, वहां पर बहुत से प्रभावशाली लोगों के साथ स्थानीय राजनीतिज्ञ भी उपस्थित थे। अपने वोट बैंक को सलामत रखने के लिए ये नेता उपस्थित रहते हुए भी बाद में मौन साध लेते हैं। इस तरह से उन्होंने हत्या करने वालों को खुश कर दिया, दूसरी तरफ मौन रहकर परोक्ष में उनका सहयोग भी कर दिया। इस तरह की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए कुछ समय पहले सुप्रीमकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की थी।, हत्या का आदेश दिया गया, तब पंचायत की बैठक में उपस्थित तमाम सदस्यों और वास्तव में हत्या करने वालों को भारतीय दंड संहिता की किस धारा के तहत गिरफ्तार कर उन्हें सजा दी जाए, इसके लिए जीओएम (ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स) निर्णय लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय और विधि मंत्रालय को अपनी सिफारिश देना था। एक साल बाद भी कई राज्यों ने इस पर अपना कोई सुझाव नहीं दिया। फौजदारी मामलों में संबंधित परिवर्तन के लिए पूर्व में जीओएमए ने तमाम राज्यों को इस संबंध में परिपत्र भेजा था, जिसमें राज्यों से सलाह मांगी गई थी कि इस दिशा में आप क्या सोचते हैं और किस तरह का कानून बनना चाहिए? इस बात को करीब एक साल हो गया, लेकिन दस से अधिक राज्यों ने इस दिशा में चुप्पी साध ली है। कई ने तो जवाब देने की जहमत ही नहीं उठाई। सबसे अधिक ऑनर किंलिग की वारदातें हरियाणा में हुई हैं। यहां से खुलेआम विरोध हो रहा है। हरियाणा के नेताओं ने कहा है कि यदि इस दिशा में एक कदम भी उठाया गया तो बहुत बड़ा वोट वैंक अपने हाथ से निकल जाएगा। खाप पंचायतें तो इतनी अधिक नाराज हैं कि वह इस दिशा में किसी प्रकार के परिवर्तन नहीं चाहतीं। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान ने तो कह दिया है कि यह कानून बहुत ही कड़ा होना चाहिए। इन राज्यों से जो सुझाव प्राप्त हुए, उसका सार यह है- प्रेमी युगल की हत्या का आदेश देने वाली पंचायत की बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों को कम से कम आजीवन कारावास और अधिक से अधिक मौत की सजा दी जाए। इन सिफारिशों को लेकर हरियाणा को आपत्ति है। दूसरे राज्यों में इस तरह के मामले नहीं के बराबर हैं। प्रणब मुखर्जी की समिति इस बात के लिए उत्सुक है कि भारतीय दंड संहिता की धारा-300 में ऑनर किलिंग का स्पष्ट उल्लेख कर दोषियों को सख्त सजा दी जाए। अभी तक ऑनर किलिंग के आरोपी को ऐसी सजा नहीं मिल पाती थी, जिससे उस तरह का अपराध करने वाले किसी तरह का सबक लें। यदि इस दिशा में इस अपराध की धाराएं तय हो जाएं, तो पुलिस स्टेशन में होने वाली एफआइआर में धारा का स्पष्ट उल्लेख कर मामला तैयार किया जाए। दिलचस्प बात यह है कि पंजाब इस प्रश्न पर मौन है। हरियाणा जहां सबसे अधिक ऑनर किंलिंग के मामले होते है, वह वोट की बात कर रहा है। इसके बाद उत्तर प्रदेश और राजस्थान का नंबर आता है। जब इस कानून का पूरी तरह से विश्लेषण कर लिया जाएगा, तब पुलिस स्टेशन में उस अपराध पर सही धारा कायम कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी। अब तक धारा का सही विश्लेषण न होने के कारण यह संभव नहीं हो पाता था। लेकिन राज्यों द्वारा इस दिशा में दिलचस्पी न लेने के कारण मामला अटकता नजर आ रहा है। फौजदारी मामले की इस धारा में संशोधन हो और संसद के दोनों सदनों में इसे रखा जाए, उसके बाद ही इसे लागू किया जा सकता है। ऐसा नहीं है कि लागू होते ही इसे स्वीकार ही कर लिया जाएगा। इस दिशा में गृह विभाग की मंशा ठीक है, पर राज्यों से पूरा सहयोग नहीं मिल रहा है। इसके अलावा ग्राम पंचायतों को इस दिशा में जागरूक किया जाना आवश्यक है ताकि वे भी फैसला देते समय इस बात का खयाल रखें। पंचायत को यह समझाना आवश्यक है कि अगर दो प्रेमी आपस में प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं तो इससे समाज की प्रतिष्ठा को क्या आंच आती है? राज्यों का इस दिशा में मौन को भी सम्मति माना जा सकता है। कई बार मौन स्वीकृति का परिचायक होता है। इसलिए इस धारा में संशोधन होता है तो उनकी मौन सहमति है, यह माना जाएगा। इस दिशा में अब यह हकीकत सामने आई है कि कन्या भू्रण हत्या की दिशा में कमी आने के साथ ही बालिका शिक्षा का स्तर भी ऊपर उठने लगा है। सभी जातियों में कन्याएं शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रही हैं। अब उनके नाम प्रावीण्य सूची में भी दिखाई देने लगे हैं। दूसरी ओर युवा भी व्यापार-व्यवसाय के क्षेत्र में कुछ नया कर गुजरने की स्थिति में हैं। ऐसी स्थिति में युवतियां यही चाहती हैं कि उनका जीवनसाथी उनकी तरह ही शिक्षित हो, इसलिए वे अपना जीवनसाथी चुनने में सावधानी बरतते हुए इस दिशा में आगे बढ़ती हैं। यदि उन्हें अपनी ही जाति में अपने लायक युवा नहीं मिलता तो वे दूसरे जाति के युवा की तरफ आकर्षित होती हैं। कई बार साथ-साथ शिक्षा प्राप्त करने के दौरान दो विभिन्न जाति के युवाओं में आपस में प्यार हो जाता है और आगे चलकर वे परिणय सूत्र में बंध जाते हैं। ऐसी स्थिति में पंचायत या फिर अदालत को किस तरह से कदम उठाना चाहिए, इसकी जानकारी कानून में हुए संशोधन से पता चल जाएगा। इसकी व्याख्या इतनी सटीक होनी चाहिए कि किसी को भी समझने में परेशानी नहीं आए। तभी यह संशोधन सार्थक होगा।
इसके मद्देनजर वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का चयन किया गया। ऑनर किलिंग रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता में परिवर्तन करना जरूरी हो गया है। हत्या का आदेश देने वाली संबंधित ग्राम पंचायत
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