मुख्यमंत्री केवल चेहरे से मुख्यमंत्री नहीं होता, पूरा का पूरा सिर से पाँव तक मुख्यमंत्री होता है। जैसा भी हो मुख्यमंत्री सरकार का ही प्रतीक है बल्कि खुद सरकार है। कीचड़, कालिख कहीं भी लगे, वह गंदगी ही कही जाती है। और सरकार की छबि को उज्ज्वल रखना हर कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी की जिम्मेदारी है। इस हिसाब से अगर मुख्यमंत्री पर कोई कालिख या कीचड़ लग जाए, तो उसकी सफाई करना भी अफसर का ही काम कहा जाएगा न?
मगर एक चमचत्वनिष्ठ अफसर ने यूपी की मायावतीजी के जूतों पर लगा कीचड़ अपनी जेब में रखे साधारण से रुमाल से साफ क्या कर दिया, टीवी चैनलों को दिनभर चिल्लाने का मसाला मिल गया। पत्रकार हूँ, जानता हूँ, जो दृश्य वे दिखा रहे थे वे वाकई दिखाने काबिल थे, लेकिन जो टिप्पणी वे कर रहे थे, उस पर मुझे कोफ्त होती रही। अरे, जिस दृश्य को हमारे देश की प्रशासनिक सेवाओं के पाठ्यक्रम में अनिवार्यतः शमिल करने की वकालत की जानी चाहिए, उसे शर्मनाक बताया जा रहा था। चैनलवालों को तो सिफारिश करनी थी कि पुनीत ड््यूटी निभाने वाले अफसर को वेतन के अलावा रुमाल-भत्ता भी दिया जाए।
मैं पूछता हूँ, सीएम के जूते पर या शरीर पर कहीं भी कालिख या कीचड़ लग गया, तो वह क्या करे? क्या इसके लिए किसी नीरा राडिया को फोन करे? बताइए, सीएम पर लगी गंदगी वगैरह साफ करना अफसरों का नहीं तो किसका काम है? अगर गंदगी हटाने-मिटाने के काम न आए तो सीएम के आजू-बाजू बड़ा-सा अफसर गिरोह रखने का फायदा क्या? मैं जिन राज्यों में घूमा हूँ, वहाँ मैंने पाया कि मुख्यमंत्री के काले-धोले को सफेद करने के लिए पूरा विभाग काम कर रहा है। मुख्यमंत्री को जो भी करना हो, करते रहते हैं और पूरा विभाग उनकी छबि सुधारने में लगा रहता है। करोड़ों-अरबों का बजट है, अगर सीएम की गंदगी पोंछने के अत्यंत अनिवार्य प्रशासनिक कार्य को शर्मनाक घोषित कर दिया गया, तो सरकार कालिख पोंछने के लिए रखे बजट का क्या करेगी?
मेरी तो माँग है कि विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त उस अधिकारी को अति विशिष्ट सेवा मेडल देने की सिफारिश की जानी चाहिए। और विश्वास है मायावतीजी ऐसा करेंगी भी। चाहें तो पता कर लें, प्रदेश के हर जिले में जो अधिकारी होता है, उसकी जेब में ऐसी ही कालिख आदि पोंछने के लिए रुमाल जैसा कुछ जरूर होता है। उसे हिदायत होती है, ऐसे रुमाल आदि रखने की। अब कालिख-कीचड़ पोंछने की निंदा कर दी गई और अफसर संकोच करने लगे, तो कल को गंदगी से भरे हमारे मुख्यमंत्री और दूसरे राजा लोग कैसे खराब लगेंगे? और किस काम में आएगा जेब में रखा रुमाल?
मगर एक चमचत्वनिष्ठ अफसर ने यूपी की मायावतीजी के जूतों पर लगा कीचड़ अपनी जेब में रखे साधारण से रुमाल से साफ क्या कर दिया, टीवी चैनलों को दिनभर चिल्लाने का मसाला मिल गया। पत्रकार हूँ, जानता हूँ, जो दृश्य वे दिखा रहे थे वे वाकई दिखाने काबिल थे, लेकिन जो टिप्पणी वे कर रहे थे, उस पर मुझे कोफ्त होती रही। अरे, जिस दृश्य को हमारे देश की प्रशासनिक सेवाओं के पाठ्यक्रम में अनिवार्यतः शमिल करने की वकालत की जानी चाहिए, उसे शर्मनाक बताया जा रहा था। चैनलवालों को तो सिफारिश करनी थी कि पुनीत ड््यूटी निभाने वाले अफसर को वेतन के अलावा रुमाल-भत्ता भी दिया जाए।
मैं पूछता हूँ, सीएम के जूते पर या शरीर पर कहीं भी कालिख या कीचड़ लग गया, तो वह क्या करे? क्या इसके लिए किसी नीरा राडिया को फोन करे? बताइए, सीएम पर लगी गंदगी वगैरह साफ करना अफसरों का नहीं तो किसका काम है? अगर गंदगी हटाने-मिटाने के काम न आए तो सीएम के आजू-बाजू बड़ा-सा अफसर गिरोह रखने का फायदा क्या? मैं जिन राज्यों में घूमा हूँ, वहाँ मैंने पाया कि मुख्यमंत्री के काले-धोले को सफेद करने के लिए पूरा विभाग काम कर रहा है। मुख्यमंत्री को जो भी करना हो, करते रहते हैं और पूरा विभाग उनकी छबि सुधारने में लगा रहता है। करोड़ों-अरबों का बजट है, अगर सीएम की गंदगी पोंछने के अत्यंत अनिवार्य प्रशासनिक कार्य को शर्मनाक घोषित कर दिया गया, तो सरकार कालिख पोंछने के लिए रखे बजट का क्या करेगी?
मेरी तो माँग है कि विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त उस अधिकारी को अति विशिष्ट सेवा मेडल देने की सिफारिश की जानी चाहिए। और विश्वास है मायावतीजी ऐसा करेंगी भी। चाहें तो पता कर लें, प्रदेश के हर जिले में जो अधिकारी होता है, उसकी जेब में ऐसी ही कालिख आदि पोंछने के लिए रुमाल जैसा कुछ जरूर होता है। उसे हिदायत होती है, ऐसे रुमाल आदि रखने की। अब कालिख-कीचड़ पोंछने की निंदा कर दी गई और अफसर संकोच करने लगे, तो कल को गंदगी से भरे हमारे मुख्यमंत्री और दूसरे राजा लोग कैसे खराब लगेंगे? और किस काम में आएगा जेब में रखा रुमाल?
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