ये उन मैसेजों की संख्या रही, जो इस नए साल पर चाहे-अनचाहे मेरे मोबाइल पर आ टपके। पहली बार इनकी गिनती भी की। पूरा-पूरा पढ़ा भी। घुमा-फिराकर वही बातें। हरेक में बढ़-चढ़कर मेरी बेहतरी की कामना। धन्य हुआ। कोई न मिला, जो नए साल में मेरी परेशानी की दुआ कर रहा हो। मेरा बुरा चाह रहा हो। नए साल पर मिस्टर ए ने ईश्वर से मेरे लिए प्रार्थना की, आपकी सारी उम्मीदें, सारे सपने पूरे हों। उफ! ये ढिठाई तब है, जब मिस्टर ए को पता है कि मेरे सपने क्या हैं? और अगर ये पूरे हुए तो उनके सपने कैसे अधूरे रह जाएंगे। सच कहूं तो टूटकर बिखर जाएंगे। मिस्टर एन ने फरमाया, आपको भारी-भरकम इनक्रीमेंट मिले। आप मंदी से महफूज रहें। आपको बता दें कि कुछ ऐसे ही मिस्टर एनों ने 2008 की मंदी में तुलनात्मक रूप से मेरी अच्छी तनख्वाह पर ग्रहण लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। और जब भी मेरे फलने-फूलने के कोई संकेत इन्हें मिले तो चार्वाक दर्शन में आस्था रखने वाली यह बिरादरी ऐसा कहकर मुझे नीचा दिखाने से नहीं चूकती कि अरे दौलत बनाने में क्या मजा है, मजा तो रोज शाम खुली बोतल में है। मिस्टर एल का संदेशा आया, आप नया साल खूब एंजॉय करें। बाप रे बाप। ये वही मिस्टर एल हैं, जो मुझे एक बार मुस्कुराता भी देख लें तो अपने गुप्तचर छोड़ देते हैं कि पता करो, उसे कौन-सी खुशी मिल गई? पता चल जाए तो पानी फेरने का इंतजाम करने में भी देरी नहीं करते। नए साल की शुभकामनाओं के साथ मिस्टर के ने लिखा, नया साल आपके लिए वाइब्रेंट हो और उत्सव मनाने के ढेर सारे कारण लेकर आए। ये वही मिस्टर के हैं, जिनसे मैंने साल जाते-जाते उत्सव मनाने की नहीं, बल्कि असामान्य होते हालात में सामान्य रहने देने भर की गुजारिश की थी। मदद क्या करेंगे, हमारे गुप्तचर कहते हैं कि पीठ पीछे पलीता ही लगाते रहे। खैर, नए साल पर आने वाले मैसेजों की संख्या से आप यह निष्कर्ष जरूर निकाल सकते हैं कि आप जानने वालों के बीच कितने लोकप्रिय हैं। और हां, अलोकप्रिय भी। कहते हैं कि दफ्तरों के बेहद अलोकप्रिय महापुरुषों को कई सारे शुभकामना संदेश इसलिए भी भेजे जाते हैं, क्योंकि भेजने वाले को मुगालता रहता है कि जनाब शायद इसकी एवज में एक-दो दिन ही सही, कुछ कम कोपदृष्टि रखेंगे। और आखिर में, मुझे भरोसा है कि मेरे इस लिखे से मेरे शुभचिंतक नए साल पर मुझे भेजे अपने मैसेज के कूड़ेदान में जाने का अहसास नहीं करेंगे।
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