तंगहाली में नैतिकता

ब्रिटेन, अमेरिका के बारे में हम ऐसी ही बातें जानते-सुनते आए थे कि लोग अखबार उठाकर उसके बगल में रखे डिब्बे में पैसे डाल देते हैं, निगरानी करने या पैसे मांगने के लिए किसी आदमी की जरूरत नहीं होती। हर घर के बाहर दूध की भरी और खाली बोतलें पड़ी रहती हैं, उन्हें कोई नहीं छूता। घर के बाहर खड़ी साइकिल में कोई ताला नहीं लगाता आदि-आदि। इन बातों को विकसित देशों के लोगों को उच्च नैतिक आचरण, सिविक सेंस और शिष्टाचार के उदाहरण के तौर पर पेश किया जाता रहा है, मगर असल में यह एक समृद्ध देश की तस्वीर है, जहां मामूली चीजों के लिए किसी को नीयत बिगाड़ने की जरूरत नहीं पड़ती। मगर पिछले कुछ महीनों से ब्रिटेन के अखबारों में जिस तरह की खबरें छप रही हैं, उन्हें पढ़कर सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि इन बातों का कितना ताल्लुक लोगों के रवैये से है और कितना उनकी जरूरतों से। लंदन और आसपास के इलाकों में चोर बिजली के तार काटकर ले जा रहे हैं, जो ब्रिटेन में पहले कभी नहीं सुना गया। पुलिस एक महिला की तलाश कर रही है, जिसकी सीसीटीवी से ली गई तस्वीरें अखबारों में छपी हैं। इस महिला ने कब्रों पर चढ़ाए गए फूल चुराकर बाजार में बेचने का धंधा शुरू किया है। मेनहोल के ढक्कन चोरी होने शुरू हो गए हैं। इस तरह की खबरें कुछ समय पहले तक लंदन के अखबारों में देखने को नहीं मिलती थीं, लेकिन अखबारों का कहना है कि आर्थिक मंदी की वजह से कुछ लोग ऐसी गिरी हुई हरकतें करने पर मजबूर हो रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह सब पूर्वी यूरोपीय देशों से आए लोगों के कारनामे हैं, जिन्हें आर्थिक मंदी की वजह से कोई नौकरी नहीं मिल रही और परदेस में गुजारा चलाने के लिए वे इस तरह के रास्ते अपना रहे हैं। सरकारी खर्च में कटौती, कुछ हजार नौकरियों के बंद होने और आर्थिक विकास की दर शून्य के नजदीक पहुंचने के बावजूद ब्रिटेन एक विकसित देश है, जहां आम नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं की तुलना भारत सहित दुनिया के ज्यादातर देशों से नहीं की जा सकती। छोटी-मोटी चोरी और धोखाधड़ी की घटनाएं भारत में रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा हैं, मगर भारत में जितनी बड़ी विपन्न आबादी है, क्या ऐसी घटनाओं का अनुपात बहुत कम नहीं है? भारत का निम्म-मध्यम वर्ग जिसे अक्सर हिकारत की नजर से देखा जाता है, कई बार ऐसा लगता है कि ब्रिटेन जैसे देशों के लोग उनसे एक बात जरूर सीख सकते हैं, वह है अभाव में सद्भाव से रहने का गुर।

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