फीका अभिभाषण

देखा जाए तो राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में जो कुछ कहा है, उसमें कुछ भी नया नहीं है। ङ"ख१६ऋ
्‌ीटा्रष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने देश को भरोसा दिलाया है कि सरकार महँगाई, भ्रष्टाचार, नक्सली हिंसा और विदेशी बैंकों में काले धन की समस्या को लेकर चिंतित है और इन समस्याओं से निपटने के लिए वह जरूरी कारगर कदम उठा रही है। लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने वर्ष २०११-१२ के लिए अपनी सरकार की ५ प्रमुख प्राथमिकताएँ देश के सामने पेश कीं। महँगाई पर नियंत्रण, सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और पारदर्शिता, आर्थिक विकास में निरंतरता बनाए रखते हुए उसमें गरीबों और वंचित तबकों की समुचित भागीदारी, आंतरिक सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता और सक्षम विदेश नीति को सरकार की प्रमुख प्राथमिकता बताते हुए राष्ट्रपति ने देश को आश्वस्त किया है कि सरकार इन मोर्चों पर पूरी मुस्तैदी के साथ आगे बढ़ेगी। यों देखा जाए तो राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में जो कुछ कहा है, उसमें कुछ भी नया नहीं है। राष्ट्रपति ने वही सब कुछ कहा है, जो महँगाई, भ्रष्टाचार और आंतरिक सुरक्षा के मुद्दों पर प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री, गृहमंत्री और सरकार के अन्य मंत्री व अधिकारी समय-समय पर कहते रहते हैं, लेकिन उनके कहे का कोई असर देश के लोगों को कतई महसूस नहीं होता है। आर्थिक विकास में गरीब, कमजोर और वंचित तबकों की भागीदारी के जिक्र की रस्म अदायगी राष्ट्रपति के अभिभाषण में हमेशा होती है, लेकिन उसके बावजूद देश के विभिन्ना इलाकों में भूख और कुपोषण से बेहाल गरीबों तथा कर्ज की सलीब पर टंगे किसानों की आत्महत्या का सिलसिला थमता नजर नहीं आता है। इसी तरह सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और पारदर्शिता की कमी पर भी राष्ट्रपति के अभिभाषण में आमतौर पर चिंता जताई जाती है, लेकिन आए दिन सामने आने वाला कोई न कोई घपला-घोटाला इस चिंता का मखौल उड़ाता है। फिर भी उम्मीद की जाना चाहिए कि सरकार महँगाई और भ्रष्टाचार के मोर्चे पर मुस्तैदी के साथ कदम उठाएगी। विदेशी बैंकों में जमा भारतीय धन को वापस लाने के मामले में विपक्षी दलों के भारी दबाव और सर्वोच्च न्यायालय से मिली कड़ी फटकारों के बावजूद सरकार ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया है, जिससे कि लगे कि वह इस मामले में गंभीर है, लेकिन अब राष्ट्रपति के अभिभाषण में इस मामले में जताई गई प्रतिबद्धता उम्मीद जगाती है।

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