हैप्पी वेलेंटाइन डे!

यह डे, वह डे और वेलेंटाइन डे! बचपन में पिताजी को सुबह पूजा के समय पंचांग खोलकर तिथि देखते हुए देखती था। एकादशी या पूर्णिमा हुई तो उपवास होता था। मां भी प्राय: सुबह ही उनसे कहती थी कि देखिए तो रक्षाबंधन, होली, दीवाली, वसंत पंचमी या नवरात्रियां कब हैं? फिर हम बड़े हुए। स्कूल कॉलेज की छुट्टी डायरी में दी होती और वह हमारा पंचांग हो गया। विवाह पश्चात बच्चों की डायरी या फिर कैलेंडर में दर्ज लाल दिन पंचांग का काम कर देते। मुंबई आई तो वीकेंड क्या होता है, समझ आया। शनिवार, रविवार छुट्टी और त्योहारों की आठ छुट्टियों की सूची साल के आरंभ में ही हाथ आ जाती और मैं बड़े यत्न से उन्हें कैलेंडर पर गोला लगाकर और त्योहार का नाम लिख चिह्नित करने लगी। अब फेसबुक पर भ्रमण करने पर पता लगता है कि आज तो किस डे, हग डे, व‌र्ल्ड मैरिज डे है। कई दिन से सोच रही थी कि इतनी वस्तुएं, व्यक्ति, भावनाओं, संबंधों, समस्याओं को जब मनाना हो तो 365 दिन तो कम ही पड़ते होंगे। यदि मातृ दिवस मनाना है तो क्या दादी या बुआ को नाराज किया जा सकता है? यदि स्त्री दिवस तो फिर पुरुष और किन्नर दिवस भी तो मनाना होगा। सो, सोच रही थी कि या तो हर दिवस को दशक में एक बार आना चाहिए या फिर हर घंटा ही नियत कर दिया जाए। 12 फरवरी को दोपहर एक बजे बाल घंटा तो दो बजे पैर घंटा, तीन बजे प्रेम घंटा तो चार बजे विष वमन घंटा! आज गूगल पर ढूंढ़ा तो पाया कि सच में एक एक दिन में कई दिवस हैं। आप अपना दिवस चुन लीजिए कि गिलहरी दिवस मनाना पसंद करेंगे या गधा दिवस! अब सोचती हूं कि जैसे पिताजी सुबह पंचांग देखते थे, मैं अब कंप्यूटर खोल गूगल को नमस्कार कर उसमें उस दिन के सारे दिवस देख अपनी पसंद के चुन लूं और पति के दफ्तर जाने से पहले उनके साथ मिलकर वह दिवस मना लूं। यदि मूड अच्छा हो तो पति को ही चुनाव करने देकर उनकी पसंद का दिवस मना लूं। यदि कोई भी मन भावन न हो तो अपने मन से अचार दिवस, पापड़ दिवस या भुनी मिर्च दिवस या फिर पति से झगड़ा दिवस ही मना लूं। यदि बढि़या रहा तो आप सबको भी बता दूंगी और आप चाहें तो आप भी वह दिवस मना सकते हैं। आखिर कब तक यूरोप अमेरिका के मसाला विहीन दिवस मनाएंगे? खैर, जो चाहो चुन लो, लेकिन आपका हाल वही रहेगा। फिलहाल तो आप वेलेंटाइन डे ही मना लीजिए। 

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