कोई आदमी रेप क्यों करता है? क्या यह उसके शरीर में ज्यादा मात्रा में पुरुष हॉर्मोंस बनने की वजह से होता है या खराब संगत की वजह से? रेपिस्ट बनने से बचने का कोई तरीका है?
- एक पाठक
रेप एक विकृत काम संबंध है जो जबर्दस्ती, गुस्सा और पावर की अभिव्यक्ति होता है। ऐसा करने वाले को अकसर कोई न कोई दिमागी परेशानी होती है। कामेच्छा और कामावेग उसके कंट्रोल से बाहर चले जाते हैं और कामना तीव्र वासना का रूप ले लेती है। ऐसे आदमी में शारीरिक संबंध प्राकृतिक न रहकर, विकृति बन जाते हैं। रेप करने वाला अकसर गुस्सैल होता है और उसकी प्रकृति सामने वाले पर हावी होने की होती है। उसे दूसरों को दुखी देखकर सुख मिलता है। ऐसे लोग छोटी-से-छोटी बात पर भी किसी से भिड़ जाते हैं। कई बार ऐसे लोग सेक्स एजुकेशन न होने की वजह से गलतफहमी के शिकार हो जाते हैं और रेप कर बैठते हैं। हरेक के जीवन में एक ऐसा समय आता है, जब उसकी कामेच्छा इतनी तेज हो जाती है कि खुद को संभाल पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में संतुष्टि जरूरी है। कई बार आदमी को गलतफहमी होती है कि अगर वह मास्टरबेशन करेगा तो नामर्दी का शिकार हो जाएगा या फिर उसे टीबी हो जाएगी। ऐसे में आदमी जबर्दस्ती यौन संबंध बनाने पर आमादा हो जाता है। यह देश ब्रहम्शचर्य की शिक्षा और संस्कृति का देश है रेप जैसी घटनाओं से बचने के लिए सेक्स एजुकेशन ही एक तरीका है, लेकिन अगर किसी को पता है कि विकृत काम संबंध उसकी आदत बन चुके हैं तो उसे कुछ ऐसे हॉमोर्ंस की दवाएं दी जाती हैं, जिनसे उसके पुुरुष हॉमोर्ंस कमजोर पड़ जाएं और उसकी कामेच्छा कंट्रोल में रहे। इससे सहवास करने की उसकी क्षमता कम हो जाती है। हॉर्मोंस की यह दवा बंद करने के बाद आदमी अकसर पहले जैसे हालात में जा जाता है। रेप से बचाव के लिए यह दवा उसे आजीवन लेनी पड़ेगी। यह गलतफहमी है कि किसी आदमी में टेस्टोस्टीरोन ज्यादा बनने से उसमें कामावेग और कामेच्छा ज्यादा होती है, जिससे वह रेप कर बैठता है।
- एक पाठक
रेप एक विकृत काम संबंध है जो जबर्दस्ती, गुस्सा और पावर की अभिव्यक्ति होता है। ऐसा करने वाले को अकसर कोई न कोई दिमागी परेशानी होती है। कामेच्छा और कामावेग उसके कंट्रोल से बाहर चले जाते हैं और कामना तीव्र वासना का रूप ले लेती है। ऐसे आदमी में शारीरिक संबंध प्राकृतिक न रहकर, विकृति बन जाते हैं। रेप करने वाला अकसर गुस्सैल होता है और उसकी प्रकृति सामने वाले पर हावी होने की होती है। उसे दूसरों को दुखी देखकर सुख मिलता है। ऐसे लोग छोटी-से-छोटी बात पर भी किसी से भिड़ जाते हैं। कई बार ऐसे लोग सेक्स एजुकेशन न होने की वजह से गलतफहमी के शिकार हो जाते हैं और रेप कर बैठते हैं। हरेक के जीवन में एक ऐसा समय आता है, जब उसकी कामेच्छा इतनी तेज हो जाती है कि खुद को संभाल पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में संतुष्टि जरूरी है। कई बार आदमी को गलतफहमी होती है कि अगर वह मास्टरबेशन करेगा तो नामर्दी का शिकार हो जाएगा या फिर उसे टीबी हो जाएगी। ऐसे में आदमी जबर्दस्ती यौन संबंध बनाने पर आमादा हो जाता है। यह देश ब्रहम्शचर्य की शिक्षा और संस्कृति का देश है रेप जैसी घटनाओं से बचने के लिए सेक्स एजुकेशन ही एक तरीका है, लेकिन अगर किसी को पता है कि विकृत काम संबंध उसकी आदत बन चुके हैं तो उसे कुछ ऐसे हॉमोर्ंस की दवाएं दी जाती हैं, जिनसे उसके पुुरुष हॉमोर्ंस कमजोर पड़ जाएं और उसकी कामेच्छा कंट्रोल में रहे। इससे सहवास करने की उसकी क्षमता कम हो जाती है। हॉर्मोंस की यह दवा बंद करने के बाद आदमी अकसर पहले जैसे हालात में जा जाता है। रेप से बचाव के लिए यह दवा उसे आजीवन लेनी पड़ेगी। यह गलतफहमी है कि किसी आदमी में टेस्टोस्टीरोन ज्यादा बनने से उसमें कामावेग और कामेच्छा ज्यादा होती है, जिससे वह रेप कर बैठता है।
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